stock market में zero से शुरूआत कैसे करें।
अगर आपको Stock market के बारे में कुछ नहीं पता, कुछ भी नहीं पता और आप जीरो से शुरुआत कर रहे हैं तो मैं आपको गैरॅन्टी देता हूँ कि इस Blog को देखने के बाद आपको कोई और Blog या वीडियो देखने की जरूरत नहीं पड़ेगी और आप कॉन्फिडेंटली Stock market में इन्वेस्ट कर पाएंगे क्योंकि इस blog में हम बिल्कुल बेसिक से कॉन्सेप्टस को समझेंगे और इस blog में मैं आपको प्रक्टिकली शेयर को Buy sell कैसे करना है, करके भी दिखाऊंगा और इसमें मैं आपको अपनी खुद की स्ट्रेटेजी भी बताऊँगा कि कैसे मैं अपने लिए स्टॉक सेलेक्ट करता हूँ और इस स्ट्रेटेजी से कई बार आप शार्ट टर्म में भी प्रॉफिट कमा सकते हैं।
लेकिन देखो मैं घूमा, फिरा के बात नहीं करूँगा मैं आपको साफ साफ कह दू की stock market में आप जैसे बहुत सारे बिगिनर्स डेली आते हैं इस उम्मीद से की वो stock market से प्रॉफिट कमाएंगे लेकिन वो कुछ ही महीने के अंदर stock market को छोड़ के चले जाते हैं। उन्हें या तो बहुत ज्यादा लॉस हो जाता है। कई बार उस लॉस को रिकवर करने के लिए वो और लॉस करवा देते हैं और कुछ तो कर्ज में डूब जाते हैं। इवन एक व्यक्ति ने दुसरे व्यक्ति को देख कर स्टॉक मार्केट में अपनी शुरुआत की थी। उसको ज्यादा नॉलेज थी नहीं और उसने किसी से डाइरेक्टली पूछा। नहीं तो उसको जिसने जो स्टॉक बताया उसने वो स्टॉक खरीद लिया।
उसमें से एक स्टॉक था, जिसका नाम था BCG Group आप में से भी बहुत सारे लोगों ने हो सकता है। इस स्टॉक में इन्वेस्ट किया होगा तो उसको भी किसी ने इस स्टॉक के बारे में बताया क्योंकि उस टाइम पर इसकी price बहुत तेज़ी से बढ़ रही थी तो उसने ₹5,00,000 जो उसके पास सेविंग्स थी वो इस एक स्टॉक में इन्वेस्ट कर दी। मतलब उसने पूरे स्टॉक मार्केट में किसी और स्टॉक में इन्वेस्ट नही कर रखा है। सिर्फ एक स्टॉक में अपना सारा पैसा इन्वेस्ट कर दिया जो की ₹5,00,000 थे।
अब जब उसने इन्वेस्टमेंट की ना उसने लगभग ₹19 के आसपास अपनी इन्वेस्टमेंट की थी और उसके बाद price बढ़ने लगे थे और इसका जो है स्टॉक में बनाया था, वो ₹113 का था तो उस टाइम पर उसको 810% के रिटर्न्स इस स्टॉक में देखने को मिल रहे होंगे। जब 113 का स्टॉक ने है बना दिया। उसके बाद प्राइस थोड़ा नीचे आई तो इसको लगा की यार ऑलरेडी इतना प्रॉफिट हो रहा है और थोड़े पैसे और लगा दूं। फिर तो मेरी चांदी चांदी है तो उसने क्या किया? दोस्तों से उधार उधार लेकर ₹5,00,000 और इस स्टॉक में लगा दिया मतलब टोटल 10,00,000 जिसमें से 5,00,000 अपने और 5,00,000 उसने जुगाड़ करके दोस्तों से उधार उधार लेके लगा दिया। लेकिन उसके बाद इस स्टॉक की price बहुत तेजी से गिरा और आप यकीन नहीं करोगे? उसने लास्ट में जाकर 8,00,000 रुपए का लॉस बुक किया।
अब इसमें से ₹5,00,000 तो उसके अपने थे लेकिन जो बचे हुए ₹3,00,000 थे ना वो उसके घर वालो ने चुकाया है तब जाके उसने सीखने के बारे में सोचा।
अब देखो उसका फैम्ली बैकग्राउंड तो अच्छा था तो उसकी फैम्ली ने वो ₹3,00,000 चुका दिए। लेकिन मैं जानता हूँ कि अपने से बहुत सारे लोग जो मेरे blog देख रहे हैं उनमें कुछ स्टूडेंट्स होंगे। कुछ ऐसे लोग होंगे जो 20 ₹30,000 महीना ज्यादा से ज्यादा कमा रहे हैं और आप stock market से एक एक्स्ट्रा इन्कम करना चाहते हैं। अपनी शुरुआत करना चाहते हैं जो कि एक अच्छी बात है। लेकिन देखो मैं नहीं चाहता कि आपके साथ वही हो जो मैंने ऊपर एक उदहारण बताया था इसलिए मेरी आपसे रिक्वेस्ट है कि कोई भी इन्वेस्टमेंट करने से पहले इस blog को पूरा स्टेप ब्य स्टेप ध्यान से देखिए और जो मैं आपको अपनी स्ट्रेटेजी बताने वाला हूँ उसको समझने के लिए भी आपको पहले बेसिक्स क्लियर होने जरूरी है और मैं आपको दोबारा से एन्सुर कर दूँ।
blog में हम आपको बहुत ही सिंपल तरीके से और एग्ज़ैम्पल्स के साथ समझाएंगे ताकि आपके लिए समझना आसान हो जाए और जो कुछ भी इस blog में हम आपको सिखाने वाले हैं वो कॅन्टेंट अभी आपको स्क्रीन पे नजर आ रहा होगा।
तो देखो stock market से पैसे कमाने के लिए बहुत सारे तरीके होते हैं। जैसे आप स्टॉक्स में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग कर सकते हैं। आप म्यूचुअल फंड में भी इन्वेस्ट कर सकते हैं या फिर आप ट्रेनिंग भी कर सकते हैं,
ऑप्शन्ज़ ट्रेनिंग भी एक ऑप्शन होता है और उसमें आपको इस तरीके के चार्ट पैटर्न कैंडलिस्टिक पैटर्न के बारे में सीखना होता है। यानी स्टॉक मार्केट से पैसे कमाने के बहुत सारे तरीके हैं। लेकिन आपको अपनी जो स्टॉक मार्केट की शुरुआत है ना वो हमें लगता है कि इन्वेस्टिंग के साथ करनी चाहिए। मैं ये बिल्कुल भी नहीं कह रहा हूँ कि आपको ट्रेनिंग नहीं करनी है या फिर नहीं करनी चाहिए। मैं सिर्फ ये कह रहा हूँ कि क्योंकि आप नए हैं तो शुरुआत इन्वेस्टिंग के साथ कीजिए तो स्टॉक्स में इन्वेस्ट कैसे करना है।
STOCK
इसके बारे में जानने के लिए आपको सबसे पहले तो समझना होगा कि stock होता क्या है? तो देखिए अपने बहुत सारे स्टॉक्स के नाम सुनेंगे। अपने रिलायंस का नाम सुना होगा। आपने टाटा मोटर्स का नाम सुना होगा।
आपने हो सकता है टी सी एस का नाम सुना होगा या फिर टाइटन का नाम भी सुना हो जिससे राकेश झुनझुनवाला ने बहुत सारा पैसा कमाया था। तो ये जो स्टॉक्स हैं इनको आप stock market से खरीद सकते हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि हम तो ठीक है, खरीद रहे हैं, हमारा फायदा है, लेकिन कंपनी अपने शेयर्स को बेच क्यों रही है? तो सबसे पहले एक कंपनी के पर्सपेक्टिव से समझते हैं कि वो आखिर अपने शेयर्स क्यों बेच रही है। तो मान लीजिए एक कंपनी है जिसका नाम हम यहाँ पे रख देते हैं। Tata
तो ये कंपनियां जो की अपने आप को एक्सपैंड करना चाहती है, अभी मान लीजिए ये जो कंपनी है ये उत्तराखंड में ही काम करती है लेकिन ये एक इंटरनेशनल कंपनी बनना चाहती है तो अगर किसी कंपनी को इंटरनेशनल्ली जाना है और बहुत जल्दी जाना है तो उसको चाहिए होंगे बहुत सारे पैसे तो अब उस पैसे के लिए ना कंपनी के पास दो ऑप्शन्ज़ होते है जिसमे पहला ऑप्शन होता है लोन। यानी कंपनी चाहे तो वो लोन ले सकती है और लोन ले कर वो फिर अपनी कंपनी को एक्सपैंड कर सकती है। लेकिन यहाँ पर रिस्क होता है क्योंकि अगर कंपनी डूब भी गई तब भी आपको लोन चुकाना पड़ेगा और उसके साथ ही लोन के ऊपर इन्ट्रेस्ट भी तो चुकाना होगा।
तो यहाँ पर कंपनी के पास दूसरा तरीका होता है पैसे रैसे करने का और वो तरीका होता है अपनी कंपनी का आई पी ओह लेकर आना। तो ये जो आई पी ओह होता है। इसमें कंपनी क्या करती है वो डाइरेक्टली आप और हम जैसे जो इन्वेस्टर्स है जो जनरल ऑडिएंस है उनको अपने शेयर्स भेज देती है।
शेयर का मतलब है सिम्पली कंपनी जो है वो अपना एक छोटा सा हिस्सा इस हिस्से को वो आम जो पब्लिक है उनको बेच रही है। अब इसमें कंपनी की जेब से डाइरेक्टली कुछ नहीं जाता और उन्हें जितना पैसा चाहिए वो पैसा डाइरेक्टली हमसे मिल जाता है। अब उस पैसे का यूज़ करके कंपनी क्या करेगी? वो बिज़नेस करेगी और अपने बिज़नेस को एक्सपैंड करेगी।
वो बिज़नेस करेगी और अपने बिज़नेस को एक्सपैंड करेगी और अगर कंपनी अपने बिज़नेस को एक्सपैंड करती है और मान लीजिए जैसा कंपनी ने सोचा था वैसा ही होता है। तो अब इस केस में क्या होगा कि कंपनी का जो साइज है वो बड़ा होगा? जैसे इस केस में कंपनी का जो साइज है वो बड़ा हो गया है तो अब कंपनी भी बड़ी हो गई तो आपका जो छोटा सा हिस्सा है वो भी कंपनी में बड़ा हो गया तो मान लो। पहले ये जो कंपनी थी, इसकी जो वैल्यूएशन थी, वो 100,00,00,000 थी और ये जो इसने हिस्सा बेचा था वो ₹10,00,00,000 का था।
अब जब मान लेते हैं कि कंपनी जब बड़ी हुई है और इसकी वैल्यूएशन बढ़कर 200,00,00,000 हो गई है।
तो अब ये जो 10,00,00,000 होगा ना इसकी वैल्यू बढ़कर भी 20,00,00,000 हो चुकी होगी। तो अगर आपने इसमें ₹10,000 लगाए होंगे तो वो भी 20,000 हो गए होंगे तो यहाँ पर हमें समझ आ गया है कि कंपनी ने अपना हिस्सा क्यों बेचा इसलिए बेचा क्योंकि उसे कंपनी को बड़ा करने के लिए पैसों की जरूरत थी और हमने उसका हिस्सा क्यों खरीदा? क्योंकि हमारे पास पैसे थे और हम उस पैसे को बढ़ाना चाहते थे तो हमने उस कंपनी में इन्वेस्ट कर दिया।
यहाँ तक आपको चीजें क्लियर हो गई है तो चलिए आगे बढ़ता है। अब यहाँ पर आप एक बात को जरूर समझ लीजिए की जब भी कंपनी का IPO आता है, मान लीजिए जैसे रिलायंस है तो रिलायंस का जब IPO आया होगा ना। उसी टाइम पर रिलायंस ने डाइरेक्टली, आप और हम जैसे इन्वेस्टर्स को शेयर्स बेचे। एक बार जब कंपनी का IPO ओवर हो चुका है तो अब जब आप शेयर मार्केट से शेयर रिलायंस के खरीद रहे हैं तो यहाँ पर रिलायंस डाइरेक्टली आपको अपना श्रेणी बेच रहा है। यहाँ पर आप किसी दूसरे इन्वेस्टर से शेयर खरीदते हैं। फिर आप किसी दूसरे को बेचते हैं। वो दूसरा किसी तीसरे को बेचता है।
और ऐसे हम आपस में एक दूसरे को ही रिलायंस के शेयर्स बेच रहे हैं। यानी जब कंपनी IPO लेकर आती है तभी वो अपने शेयर्स डाइरेक्टली पब्लिक को भेजती है। बाद में जब हम शेयर मार्केट से शेयर खरीदते हैं तब अक्चवल में कंपनी शेयर नहीं बेच रही है। हम आपस में एक दूसरे से शेयर खरीद और बेच रहे हैं। अब देखो कंपनी ने तो हमें शेयर्स बेच दिया है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि अब हम आपस में एक दूसरे के शेयर कैसे खरीदेंगे और बेचेंगे तो इसी के लिए स्टॉक मार्केट बनाया गया है और ये जो स्टॉक मार्केट है इसमें बेसिक्ली दो एक्स्चेंज है।
जिसमें से एक एक्स्चेंज है NSE और दूसरा है BSE यानी नेशनल स्टॉक एक्स्चेंज और दूसरा है बॉम्बे स्टॉक एक्स्चेंज। तो अब इन स्टॉक एक्स्चेंज का काम क्या है? तो देखिए इनके नाम से ही समझ आ रहा है कि यहाँ पर स्टॉक को एक्स्चेंज किया जाता है। यानी आप किसी दूसरे को देते हैं। वो दूसरा किसी तीसरे को देता है। यानी इसी के थ्रू शेयर्स Buy and sell किए जाते हैं। यानी अगर मुझे अपने शेयर्स बेचने है तो मैं NSE या BSE में से किसी एक स्टॉक एक्स्चेंज में बेचूंगा और आपको अगर वो शेयर्स खरीदने हैं तो आप भी NSE या BSE से खरीद सकते हैं। तो ऐसे में होता क्या है कि ना आप मुझे जानते हैं ना? मैं आपको जानता हूँ लेकिन तब भी हम एक दूसरे को शेयर खरीद और बेच सकते हैं और इससे शेयर्स को खरीदो और बेचना काफी आसान हो जाता है। बट यहाँ पर आपको एक पॉइंट क्लियर कर दूँ कि आप खुद से डाइरेक्टली NSE या BSE में जाके ये नहीं बोल सकते कि मुझे शेयर्स बेचने है और दूसरा बोलेंगे कि मुझे शेयर्स खरीदने है तो इसके लिए आपको एक ब्रोकर के थ्रू जाना होता है। यानी वो ब्रोकर आपके NSE या BSE में शेयर बेचेगा तो आपको बेसिक्ली ब्रोकर के पास जाना है।
अब ये जो ब्रोकेर्स हैं ये प्रॉपर्टी ब्रोकर की तरह नहीं होते हैं जो की आपको हर गली या मोहल्ले में मिल जायेंगे। तो इसके लिए आपको अपना एक डीमैट अकाउन्ट खुलवाना होता हैं जो डीमैट अकाउन्ट आप किसी ब्रोकर के पास खुलवाते हैं और इस केस में जो ब्रोकेर्स हैं वो बहुत बड़ी बड़ी कंपनी हैं। मतलब 20, 20, 30, 30,000 करोड़ की कंपनीस हैं जिनके पास जाकर आप अपना डीमैट अकाउन्ट खुलवाते हैं और इवन अब तो जाने की भी जरूरत नहीं हैं। आप अपना जो डीमैट अकाउन्ट हैं वो अपने मोबाइल फ़ोन के थ्रू ही खुलवा सकते हैं और उसके बाद जो शेयर्स buy and sell करने हैं वो भी मोबाइल फ़ोन के थ्रू ही किए जाते हैं। यानी जो भी ब्रोकर चूज करेंगे, उसके पास आप अपना डीमैट अकाउन्ट खुलवाएंगे।
जिसके थ्रू आप buy and sell कर सकते हैं
वैसे अगर आप अपना डीमैट अकाउन्ट खुलवाना चाहते हैं तो कुछ अच्छे डीमैट अकाउन्ट के लिंक मैंने आपको निचे download button में दें रखा है download button पर क्लिक करके download कर लेना।
जहाँ पर आप बिलकुल फ्री में अपना डीमैट अकाउन्ट खुलवा सकते हैं अब जब आप अपना डीमैट अकाउन्ट खुलवा लेंगे तो नेक्स्ट आपको क्या करना होगा? नेक्स्ट आपको जिसमें आपने अपना डीमैट अकाउन्ट खुलवाया है आपको उसका ऍप डाउंलोड करना होगा। बाकी आपको वो जो कंपनी है वो भी गाइड कर देती है। इसमें तो इसमें आपको बहुत ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है। लेकिन फिर भी मैं आपको एक बार प्रक्टिकली दिखाता हूँ कि शेयर को buy and sell करना कैसा है।
तो अब जब आप अपना डीमैट अकाउन्ट खुलवा लेंगे, आपके पास अपना आई डी और पासवर्ड आ जाएगा और आप ऍप को डाउंलोड कर लेंगे तो डाउंलोड करने के बाद आपने उस ऍप को ओपेन कर लेना है तो जब आप ऍप को ओपेन करेंगे तो आपको ये इंटरफ़ेस देखने को मिलेगा। अब हर डीमैट अकाउन्ट का डिफरेंट ऍप होता है तो वहाँ पर आपको डिफरेंट इंटरफेस देखने को मिल सकता है। लेकिन शेयर को buy and sell करने का जो प्रोसेसर है वो ऑलमोस्ट सेम होता है। तो यहाँ पर जब आप buy करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले अपने अकाउन्ट में पैसे ऐड करने होंगे तो यहाँ पर ऐड फण्ड का एक ऑप्शन है जहाँ से आप अपनी यु पी आई के थ्रू पैसे यहाँ पे ऐड कर सकते हैं।
तो अब जब आप अपना डीमैट अकाउन्ट खुलवा लेंगे, आपके पास अपना आई डी और पासवर्ड आ जाएगा और आप ऍप को डाउंलोड कर लेंगे तो डाउंलोड करने के बाद आपने उस ऍप को ओपेन कर लेना है तो जब आप ऍप को ओपेन करेंगे तो आपको ये इंटरफ़ेस देखने को मिलेगा। अब हर डीमैट अकाउन्ट का डिफरेंट ऍप होता है तो वहाँ पर आपको डिफरेंट इंटरफेस देखने को मिल सकता है। लेकिन शेयर को buy and sell करने का जो प्रोसेसर है वो ऑलमोस्ट सेम होता है। तो यहाँ पर जब आप buy करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले अपने अकाउन्ट में पैसे ऐड करने होंगे तो यहाँ पर ऐड फण्ड का एक ऑप्शन है जहाँ से आप अपनी यु पी आई के थ्रू पैसे यहाँ पे Aad कर सकते हैं।
लेकिन ध्यान रखिएगा कि आप उसी बैंक अकाउन्ट से पैसे ऐड कर पाएंगे। जीस बैंक अकाउन्ट का यूज़ आपने डीमैट अकाउन्ट को ओपेन करते हुए किया होगा तो अब अगर आप किसी भी शेयर्स को buy करना चाहते हैं तो आपको यहाँ पर वॉचलेस में जाना है। अब वॉचलेस में ऑलरेडी मैंने कुछ स्टॉक्स को ऐड कर रखा है। आप अपने हिसाब से भी स्टॉक्स को ऐड कर सकते हैं। तो आप जीस स्टॉक को आप बाई करना चाहते हैं? आपने उस स्टॉक का सिर्फ यहाँ पर नाम लिख कर सर्च कर लेना है। जैसे अगर मान लीजिए आप रिलायंस का स्टॉक BUY करना चाहते हैं
तो आप यहाँ पे रिलायंस लिख के सर्च कीजिए और ऐसे आप क्लिक करेंगे तो यहाँ पर बाई करने का ऑप्शन आ रहा है और अगर आप ITC का शेयर बाई करना चाहते है तो आपने ITC लिख के सर्च करना है। यानी जीस भी। स्टॉक को आप बाई करना चाहते है आपने उसका नाम लिख कर सर्च करना है। अब यहाँ पर आपको इक्विटी जो देखने को मिल रहा है इ क्यू जिसके आगे लिखा हुआ है। इसका मतलब है वो लॉन्ग टर्म के लिए शेयर है
और जिसके आगे आपको फ्यूचर देखने को मिल रहा है वो है अगर आप फ्यूचर ट्रेनिंग करना चाहते हैं। OPD लिखा इसका मतलब अगर आप ऑप्शन्ज़ ट्रेनिंग करना चाहते हैं देखिए मैंने आपको बताया था कि आप शेयर दो जगह से खरीद सकते हैं। एक होता है NSE और दूसरा होता है BSE तो यहाँ पर आपको दिखाई दे रहा है यहाँ पे NSE लिखा है इसका मतलब अगर मैं इस stock को buy करूँगा तो ये NSE में buy होगा और अगर मैं इसको buy करूँगा तो ये BSE में buy होगा तो ये आपके ऊपर है कि आपको NSE से buy करना है। ये BSE से बाई करना है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप NSE में buy करें या बी एस सी से बाई करें तो आप कहीं से भी buy कर सकते हैं तो एग्ज़ैम्पल के लिए मैं NSE से buy करना चाहता हूँ तो मैंने इसपे क्लिक कर दिया है और उसके बाद हमें यहाँ पे buy का ऑप्शन देखने को मिल रहा है। अब जैसे ही आप Buy पे क्लिक करते हैं तो अब देखिए अगर आप लॉन्ग टर्म के लिए शेयर को buy करना चाहते हैं मतलब आप आज buy करें और उसके बाद जब चाहे आप बेच पाए तो अपने डेलिवरी के लिए buy करना होता है। यानी लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट में आपको डेलिवरी में buy करना होगा तो यहाँ पर आपको डेलिवरी का ऑप्शन देखने को मिल रहा है।
दूसरा ऑप्शन है अगर आप intraday करना चाहते है तो फिर आपको यहाँ पे क्लिक करना होगा। intraday ट्रेनिंग में आपको मार्जिन मिलता है तो आप उस शहर को अप टु फाइव टाइम्स सस्ता खरीद सकते हैं और पे लेटर के ऑप्शन पे मुझे लगता है कि आपको ध्यान देने की जरूरत नहीं है तो हम अगर लॉन्ग टर्म के लिए सर खरीदना चाहते हैं तो हमने यहाँ पे डेलिवरी पे सेलेक्ट कर लिया है और मैं आपको सिर्फ एग्ज़ैम्पल के लिए दिखा रहा हूँ। इसलिए मैं सिर्फ एक शेयर buy कर रहा हूँ। आप जीतने चाहो उतने buy कर सकते हो।
यहाँ पे क्लियर कर दूं कि जो कुछ मैं आपको बता रहा हूँ ये सब समझाने के लिए बता रहा हूँ। ये सिर्फ एक एग्ज़ैम्पल ही ये कोई भी रिकमेन्डेशन नहीं है तो इसे एक एग्ज़ैम्पल की तरह ही लीजिएगा तो कितने शेयर आपको buy करना है वो आपने यहाँ पे लिखना होगा जैसे मैंने एक लिख रखा है क्योंकि मुझे एक शेयर buy करना है। अब इसके बाद देखिए आपको यहाँ पर दो ऑप्शन देखने को मिल रहे हैं
अगर आप market पे क्लिक करके buy करते हैं तो अभी मार्केट में शेयर की price जो भी चल रही होगी वो शेयर उसी price पर buy हो जाएगा और वो price आपको यहाँ पर देखने को मिल रही है। ₹445.19 और ये बढ़ घट रही है ₹445.80 75 पैसा 70 पैसा तो ये price बढ़ and घट रही है तो जो भी प्राइज जैसे ही आप buy नाउ पे क्लिक करेंगे तब होगी उसी प्राइज पे वो buy हो जाएगा। अगर आप मार्केट में buy कर रहे हैं तो अगर आप बहुत कम क्वांटिटी से buy कर रहे हैं और लॉन्ग टर्म के लिए buy कर रहे हैं तो फिर आप मार्केट में ही buy कर सकते हैं।
लेकिन अगर मान लीजिए आप ₹1,00,00,000 के शेयर्स खरीद रहे हैं तो वहाँ पर ₹1 भी प्राइज ऊपर नीचे होने पर आपके कुछ ₹1000 का फर्क आ सकता है तो ऐसे में आपको लिमिट प्राइज लगाकर buy करना चाहिए या फिर अगर आप कभी ट्रैनिंग करते हैं, ऑप्शन्ज़ ट्रेनिंग करते हैं तो वहाँ पर भी छोटी मोटी प्राइज बढ़ने से भी आपका जो ट्रेड है, उसमें काफी फर्क आ सकता है? तो वहाँ पर आपको लिमिट में buy करना होता है तो एक बार मैं आपको मार्केट प्राइज में ही इसको buy करके दिखाता हूँ तो हमने मार्केट यहाँ पे क्लिक कर दिया है। अब इसके बाद देखिए नीचे स्टॉप लॉस के ऑप्शन्ज़ है GTT के ऑप्शन्ज़ है अभी फिलहाल मैं आपको शेयर buy करके दिखाता हूँ तो आपने यहाँ पर नंबर ऑफ़ शेयर्स डाल दिए हैं। अभी हम मार्केट प्राइज में buy कर रहे हैं तो उसके बाद आपने buy पे क्लिक करना है और जैसे ही आप कन्फर्म पे क्लिक करते हैं तो देखिए आपका जो शेयर है वो buy हो चुका है, तो ये जो एक क्वांटिटी है यह अभी मेरी पोज़ीशन में आ चुकी है।
आपको दिखाई दे रहा है। इसमें मुझे पांच पैसे का प्रॉफिट भी दिखाई दे रहा है और अब देखिए की आपको यहाँ पर 10 पैसे का लॉस देखने को मिल रहा है तो प्राइज बढ़ेगी तो आपको प्रॉफिट दिखेगा। प्राइज घटेगी तो आपको लॉस दिखेगा। लेकिन यहाँ पर मैं आपको बता दूं कि ये जो शेयर है ये मैंने डेलिवरी में buy किया है और मैं इसको लॉन्ग टर्म के लिए मतलब जब तक चाहे तब तक के लिए अपने पास रख सकता हूँ और एक और बात का ध्यान रखियेगा की जब मैंने शेयर को buy किया है ना तो अभी ये शेयर मेरे डीमैट अकाउन्ट में यानी ये जो पोर्टफोलियों है यहाँ पर नहीं आता है।
अभी हमारी पोज़ीशन में दिखाई देता है और ये नेक्स्ट डे आपको अपने पोर्टफोलियों वाले सेक्शन में देखने को मिलेगा। तो इससे आपने घबराना नहीं है। तो शेयर को buy कैसे करना है वो आपको समझ आ गया है। तो अब मैं आपको इस शेयर को सेल करके दिखाता हूँ। अब आप कहेंगे की ये शेयर तो हमने लॉन्ग टर्म के लिए बाई किया था तो आप अभी कैसे सेल कर सकते है? तो यही अगर आप डेलिवरी में बाई कर रहे है ना तो आप चाहे तो अभी के अभी बेंच दो चाहे तो आप 10 साल बाद बेचो। इससे कोई फरक नहीं पड़ता है। अब जीतने लम्बे टाइम के लिए उसको रखना चाहते है। आप रख सकते है। अगर आपने intraday में किया होता तो फिर आपको आज के आज ही सेल करना होता और अगर आप सेल नहीं करते तो आपका जो ब्रोकर है वो उसको ऑटोमेटिकली सेल कर देता
LIMITED ORDER SHARE
तो चलिए अब समझते हैं कि लिमिट ऑर्डर में शेयर को buy करना कैसा है? तो इसके लिए वापस से मैं अपनी वॉच लिस्ट में आ गया हूँ। यहाँ पर आप जीस को buy करना चाहते हैं। आपने उस शेयर का नाम सर्च कर लेना है तो एग्ज़ैम्पल के लिए अगर मैं रिलायंस का शेयर buy करना चाहता हूँ तो मैं यहाँ पे रिलायंस लिख के सर्च करूँगा। अब देखिए यहाँ पर आपको रिलायंस इंडस्ट्रीज देखने को मिल रहा है। रिलायंस का पावर देखने को मिल रहा है। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर देखने को मिल रहा है तो हमें रिलायंस इंडस्ट्रीज को buy करना है हमें दिखाई दे रहा है और अगर आपको NSE में buy करना है तो ऊपर NSE लिखा है। नीचे BSE लिखा है और ये इक्विटी में है। इससे भी हमें पता चल रहा है कि ये शहर लॉन्ग टर्म क्लियर है। तो अगर मान लीजिए मैं इसको NSE में buy करना चाहते हैं तो आपको इसपे क्लिक कर देना है।
उसके बाद यहाँ पे देखिए buy करने का ऑप्शन आ रहा है हमने बाई पे क्लिक कर देना है मैंने एक शेयर यहाँ पे सेलेक्ट कर लिया है। ध्यान रखिएगा कि ये भी एग्ज़ैम्पल है ये कोई सजेशन नहीं है तो उसको एग्ज़ैम्पल की तरह ही लीजिए तो यहाँ पर मैंने एक क्वांटिटी सेलेक्ट कर लिया है। अब अगर मैं मार्केट प्राइज सेलेक्ट करता तो जो भी प्राइज मार्केट में चल रहा होगा उसी प्राइज में buy हो जाएगा।
लेकिन मुझे अपनी पर्टिकुलर किसी प्राइज में buy करना है तो मैं वो प्राइज यहाँ पे डाल दूंगा, तो अगर वो प्राइज मार्केट में आएगी तभी वो buy होगा, नहीं तो ऑर्डर कैंसिल हो जाएगा तो अभी प्राइज चल रहा है। ₹2935 तो अगर मुझे ₹2930 में buy करना है तो मैंने ₹2930 यहाँ पे सेलेक्ट कर लिया है और उसके बाद Buy पे क्लिक किया?
और फिर कन्फर्म buy पे क्लिक किया। अब देखिए अभी ये शेयर buy नहीं हुआ है यह हमें पेंडिंग में दिखाई दे रहा है और हमने जो प्राइज डाली है वो है ₹2930 और अभी मार्केट में प्राइज चल रही है ₹2935.60 तो अगर इस शेयर की जो प्राइज है, वो मार्केट में ₹2930 आएगी, तभी हमारा जो ऑर्डर है वो एग्ज़िक्यटिव होगा। अब देखिए, मैं तो आपको सिर्फ लिमिट ऑर्डर लगाना बताया है तो ऑर्डर इसी तरीके से लगाया जाता है। अब प्राइज आएगी तो ऑर्डर एग्ज़िक्यटिव होगा, नहीं आएगी तो नहीं होगा और मुझे सिर्फ आपको समझाना था, इसलिए मैं इस ऑर्डर को कैंसिल कर देता हूँ और अगर आपको सेल्ल भी करना होगा तब भी आप इसी तरीके से अपना लिमिट ऑर्डर लगा सकते हैं। तो ऑर्डर को कैंसिल करने के लिए हमें यहाँ पर कैंसिल ऑर्डर का ऑप्शन देखने को मिल रहा है। तो मैंने कैंसिल पे क्लिक कर दिया है और जैसे ही मैंने कैंसिल ऑर्डर पे क्लिक किया तो इस तरीके से हमारा जो ऑर्डर है कैंसिल हो चुका है।
तो इस तरीके से आप शेयर को buy and sell कर सकते हैं।
WHICH SHARE TO BUY
अब जब आप शेयर खरीदना और बेचना सीख लेंगे तो सबसे बड़ा सवाल तो अब आता है कि कौन सा शेयर खरीदना है? वैसे आगे मैं आपको अपनी स्ट्रेटेजी बताऊँगा लेकिन पहले बेसिक बात करते हैं कि शेयर खरीदे तो कौन सा शेयर खरीदे? तो देखिए बिगिनर ये माना जाता है कि आपको सिर्फ उसी स्टॉक में इन्वेस्ट करना चाहिए जिसके बिज़नेस को या तो आप समझते हैं या फिर जिसके प्रोडक्ट्स या सर्विसेज को आप यूज़ करते हैं।
तो चलिए एक एग्ज़ैम्पल लेके चलते हैं वैसे एग्ज़ैम्पल क्या आप इसे अपनी लाइफ से रिलेट करके देख सकते हैं? तो जैसे सुबह सुबह आप उठते हैं तो उठने के बाद आप वाशरूम जाते होंगे उसके बाद आप टूथब्रश उठाते होंगे तो आपने कभी देखा है कि वो टूथब्रश कौन से ब्रांड का है? अगर देखा है तो कमेंट कीजिए अब जब देखा तो उसके बाद आपने टूथपेस्ट उठाया होगा तो वो टूथपेस्ट कौन सा ब्रांड का है? ये देख लीजिए तो अब यहाँ पे एक बात का ध्यान रखिएगा कि हो सकता है आपने कोलगेट उठाया तो कोलगेट का नाम जो है ब्रांड नेम है।
जरूरी नहीं है कि वो कंपनी का नाम भी हो। कुछ केस में होता है लेकिन ज्यादातर केस में वो उस प्रॉडक्ट का ब्रांड नेम है तो अब आपके लिए जरूरी है उस कंपनी का नाम जानना तो आप एक बार जो भी प्रॉडक्ट आप यूज़ कर रहे हैं जो कि इस केस में टूथपेस्ट है उसको एक बार पलट के देखिए और वहाँ पर आपको उस कंपनी का नाम नजर आ रहा होगा। तो जो कंपनी का नाम है उस नाम को आप नोट कर लीजिए। ऐसे ही जीस कंपनी का टू ब्रश यूज़ कर रहे हैं। उसको भी नोट कर लीजिए।
अब इसके बाद आप नहाएंगे तो उसमें जो सोप यूज़ कर रहे हैं, उसका नाम यूज़ कर लीजिए। हो सकता है अब जीस शावर से ना रहे। वो शावर कौन से ब्रांड का है उसका नाम नोट कर लीजिए। इसके बाद आप बाहर आए, आपने टोवल का यूज़ किया वो टोवल कौन से ब्रांड का है। हो सकता है आप ट्राइडेंट का टोवल यूज़ कर रहे हो तो उसका नाम नोट कर लीजिए। अब आप रेडी होकर अपनी गाड़ी में बैठते हैं तो देखिए कि आप कौन सी ब्रांड की गाड़ी यूज़ कर रहे हैं तो वो ब्रांड भी हो सकता है। स्टॉक मार्केट में लिस्टेड हो यहाँ पर देख लीजिए कि उस गाड़ी में टाइयर्स कॉन्सेप्ट क्या है? हो सकता है गुड ईयर के टायर यूज़ कर रहे हैं। एम आर ऐफ़ का टाइर यूज़ कर रहे हैं, अपोलो के टाइयर्स यूज़ कर रहे हैं तो देखिए कि कौन सा ब्रांड है और उसका नाम भी नोट कर लीजिए। अब इसके बाद आप ड्राइव करते हुए जा रहे हैं तो रास्ते में हो सकता है। आपको एक इलेक्ट्रिक बस नजर आती है।
तो उसमें भी अगर आपको लगता है की यार आगे तो फ्यूचर इलेक्ट्रिक का है तो उस ब्रांड का नाम भी आप नोट कर सकते है। और इवन ये जो इलेक्ट्रिक बस वाला ऐडिया मैं आपको बता रहा हूँ ना इसको मैंने पर्सनली खुद अप्लाई किया था और उस कंपनी ने एक बहुत अच्छा र्माजन देखने को मिला था। अगर आप उस कंपनी का नाम जानते है, इवन हरियाणा में भी उसकी बस यूज़ होती है और बहुत सारी स्टेटस में यूज़ होती है इवन। रिसेंटली उस कंपनी को एक बहुत बड़ा ऑर्डर भी मिला है तो मैं कौन सी कंपनी की बात कर रहा हूँ। अगर आपको पता है तो कमेंट जरूर कीजियेगा तो अब आपने रास्ते में एक इलेक्ट्रिक बस देखी। अब आप पहुँच गए अपने ऑफिस में ऑफिस में जाने के बाद आपने अपना पी सी ओपेन किया तो देखो पी सी कौन से ब्रांड का है, हो सकता है हेच सी एल का हो? इसके बाद आपने ऑफिस में अपनी कॉफ़ी मंगाई तो कॉफ़ी कौन से ब्रांड की है? नेस् कैफ़े तो ऐसे जीतने भी नाम आपको पता चलते जा रहे है। आप उन सब की एक लिस्ट बना लीजिये। अब जब आपके पास एक अच्छी खासी लिस्ट तैयार हो चुकी है इतनी सारी कंपनीस की जिनके प्रोडक्ट्स आप यूज़ कर रहे है तो अब आपने क्या करना है आपने देखना है इसमें से की कौनसी कंपनीस लिस्टेड है और कौन सी लिस्टेड नहीं है।
कैसे देखेंगे? तो सिम्पली पहले मैंने आपको बता दिया है की आप ब्रांड नेम में नहीं, आप उसकी कंपनी के नाम पे जाइएगा। जैसे अगर नेस् कैफ़े का एग्ज़ैम्पल ले तो यहाँ पर आपने देख लेना है की वो कौनसे ब्रांड की है तो नेस्स कैफ़े नेस्ले ब्रांड कि है, तो आप जब सर्च करेंगे तो अपने नेस्ले सर्च करना है, नेस् कैफ़े नहीं। तो अगर आप देखना चाहते है की वो जो कंपनी है वो स्टॉक मार्केट में लिस्टेड है या फिर नहीं तो उस कंपनी का नाम लिखिए और उसके आगे शेयर प्राइज लिख के सर्च कर लीजिये। गूगल में आपको अगर उस कंपनी की शेयर प्राइज देखने को मिल गयी तो इसका मतलब वो स्टॉक मार्केट में लिस्टेड है और अगर नहीं देखने को मिली तो इसका मतलब वो स्टॉक मार्केट में लिस्टेड नहीं है। तो ऐसे मान लीजिये आपने पूरे दिन में या पूरे हफ्ते में अपने लिए 20 कंपनीस के नाम सेलेक्ट कर लिए। तो अब आप जब फिल्टर करेंगे तो हो सकता है उसमें से 10 कंपनीस लिस्टेड ही ना हो सिर्फ 10 ही कंपनीस लिस्टेड हो। अब देखो जो कंपनी लिस्टेड ही नहीं है, उसका तो हम कुछ नहीं कर सकते, लेकिन जो कंपनी लिस्टेड है आपने उसकी लिस्ट बना लेनी है।
तो अब जब आपके सामने 10 स्टॉक्स की लिस्ट निकल कर आ गई है जो कि स्टॉक मार्केट में लिस्टेड भी है, तो अब आपने क्या करना है? आपने देखना है कि इसमें से कौन से ऐसे प्रोडक्ट्स हैं जो आपको लगता है कि आप आज से 5 साल बाद भी यूज़ करोगे और जितना आज यूज़ करते हो उतना ही करोगे उससे ज्यादा करोगे तो ऐसे में हो सकता है कि अपने 10 स्टॉक सेलेक्ट किए थे। लेकिन अब आपके सामने सिर्फ छह स्टॉक्स निकल कर आते हैं, जिनको देख कर आपको लगता है कि आप इन छह स्टॉक्स को फ्यूचर में भी यूज़ करोगे तो अब आपके सामने छह एसे स्टॉक्स हैं, जो कि स्टॉक मार्केट में लिस्टेड हैं। जिनके बिज़नेस को आप समझते हैं, जिनके प्रोडक्ट्स को आप यूज़ करते हैं,
FUNDAMENTAL ANALYSIS
तो अब इन छह स्टॉक्स में आपको करना होगा इनका फंडामेंटल एनालिसिस अब देखिए फंडामेंटल एनालिसिस वैसे तो बहुत ही ज्यादा वास्त है और इसमें बहुत सारी चीजें करनी होती है, आपको फंडामेंटल एनालिसिस करने के लिए कौन कौन सी चीजें देखनी चाहिए।
ये बहुत ही बेसिक हम समझेंगे तो इसमें सबसे पहली चीज़ जब भी आपने जो छह स्टॉक सेलेक्ट कर लिया है, उनमें देखना है कि उसकी जो मार्केट कैपिटलाइज़ेशन है वो कितनी है। अब ये मार्केट कैपिटलाइज़ेशन को हम मार्केट Cap भी कहते हैं तो मैं मार्केट Cap लिख रहा हूँ तो ये मार्केट कैपिटल होती क्या है? तो देखिए मार्केट कैपिटल से हमें पता चलता है कि वो कंपनी कितनी बड़ी है। हमेशा ध्यान रखिए कि कभी भी आप शेयर की प्राइज को देख कर यह नहीं बता सकते कि कंपनी बड़ी है या फिर छोटी है। इसके लिए आपको उसकी मार्केट कैपिटलाइज़ेशन देखनी होती है।
तो हमारी लार्ज Cap कंपनीयां कौनसी होती है, ये आपको क्लियर हो गया है। अब अगर मिड Cap स्टॉक्स की बात करे तो इनके नाम से ही आपको समझ आ रहा है की ये मीडियम साइज की कंपनीयां है तो इनकी जो मार्केट है वो 5000 करोड़ से लेके 20,000 करोड़ के बीच में होती है। यहाँ पर एक पॉइंट आपको क्लियर कर दू की ये कोई हार्डकोर रूल नहीं है। हम आपको सिर्फ जनरल समझाने के लिए बता रहे है की इसके आसपास इनकी मार्केट कैपिटलजेशन हो तो उसको हम मिड कैप्स स्टॉक्स मानते है। कुछ केसे में लोग 25,000 करोड़ की कंपनी को भी मिडकैप मान लेते है तो ये कोई हार्डकोर रूल नहीं है। मैं आपको सिर्फ बेसिक ऐडिया के लिए बता रहा हूँ तो अब ये जो मिडकैप कंपनीस है, इनका सबसे पहली बात है। फायदा क्या है? तो इनका फायदा ये है की अगर आप इनमें इन्वेस्ट करते है तो क्योंकि ये मिडकैप कंपनीस है तो इनके पास ग्रोथ की अच्छी खासी ऑपर्च्युनिटी होती है तो आपको इसमें अच्छे रिटर्न्स मिल सकते है।
लेकिन ये जो कंपनीस है ये उतनी ज्यादा सेफ भी नहीं है क्योंकि अगर इनमे दिक्कत आएगी तो इनको थोड़ी बहुत प्रॉब्लम आ सकती है तो यहाँ पर आपके रिटर्न्स थोड़े बढ़ सकते हैं। लेकिन रिस्क भी कंपॅरटिव्ली थोड़ा बढ़ जाता है और इसके बाद जो थर्ड टाइप की कंपनी है वो होती है स्मॉल कॅप कंपनी। इनके नाम से ही आपको समझ आ रहा है कि ये बहुत छोटी कंपनी है तो हर वो कंपनी जिसकी मार्केट Cap 5000 करोड़ से कम है उसको स्मॉल Cap माना जाता है। अब क्योंकि ये कंपनी छोटी है तो इसके पास बहुत ज्यादा ग्रोथ ऑपर्च्युनिटीज़ होती है। अगर कोई कंपनी 5000 करोड़ की है तो वो फ्यूचर में 50,000 करोड़ की कंपनी में बन सकती है।
लेकिन यहाँ पर रिस्क भी बढ़ जाता है क्योंकि अगर इस 5000 करोड़ की कंपनी के साथ कोई प्रॉब्लम आ जाती है तो फिर वो पूरी कंपनी भी डूब सकती है। तो इसमें रिस्क जो होता है वो बढ़ जाता है। बट कंपॅरटिव्ली रिटर्न्स भी बढ़ जाते है। अब इन तीनों टाइप की कंपनी में से अगर आप बिगिनर है और सीखना शुरू ही किया है तो मैं आपको कहूंगा कि आप लार्ज Cap कंपनी में जाइए।
वहाँ पर आपको थोड़े जो रिटर्न्स हैं वो कम मिलेंगे। लेकिन आपका जो रिस्क होगा वो भी थोड़ा कम होगा और जो बेस्ट एप्रोच होता है उसमें माना जाता है कि आपको सिर्फ किसी एक स्टॉक में इन्वेस्ट नहीं करना है। आपको अपना एक पूरा पोर्टफोलियों बनाना है, जिसमें आप 12 से 15 स्टॉक्स रख सकते हैं और अगर आपकी कैपिटल ज्यादा है तो फिर आप मैक्सिमॅम 20 स्टॉक्स तक रख सकते हैं। इसमें आप कुछ स्मॉल कैप स्टॉक्स रख लीजिए। कुछ मिडकैप रख लीजिए और कुछ लार्ज कैप रख लीजिए तो ऐसे में जो लार्ज कैप स्टॉक्स होंगे फोलियो को स्टेबिलिटी देंगे और जो मिडकैप एंड स्मॉलकैप स्टॉक्स होंगे। इनसे आपके पोर्टफोलियों को ग्रोथ ज्यादा मिलेगी।
1) MARKET CAP
तो सबसे पहली चीज़ आपने मार्केट कैपलाइजेशन देखनी है। अब इसके बाद जो दूसरी चीज़ आपने उस स्टॉक में देखनी है वो बहुत ज्यादा इम्पोर्टेन्ट है और वो है
2) SALS GROWTH
अब सिंपल भाषा में समझाता हूँ की सेल्स ग्रोथ होता क्या है? तो जैसे मान लो पिछले साल किसी कंपनी में 100,00,00,000 का माल बेचा था।
तो सेल्स ग्रोथ के लिए जरूरी है कि वो अगले साल 100,00,00,000 से ज्यादा कमाल बेचे तो इस साल हो सकता है कि कंपनी ने 120,00,00,000 का माल बेचा तो इसका मतलब है कि पिछले 1 साल में जो कंपनी की सेल्स ग्रोथ है वो कितनी है? वो 20% है। अब हो सकता है कि अगले साल जो कंपनी है वो 145,00,00,000 का माल बेचे। फिर उसके अगले साल 160,00,00,000 का माल बेचे, 180,00,00,000 का माल बेचे। यानी उसकी जो सेल्स होनी चाहिए वो इस तरीके से बढ़ रही हो। अब यहाँ पर आपको मैं थोड़ी एडवांस नॉलेज भी दे देता हूँ और वो यह है कि जब भी आप किसी कंपनी की सेल्स ग्रोथ देख रहे हैं वो सिर्फ 1 साल की ना देखें। 1 साल में किसी भी रीजन की वजह से कंपनी की जो सेल्स है, वह तेजी से बढ़ सकती है।
तो यहाँ पर आप पिछले 3 साल का मिनिमम और कुछ केसे में आप पिछले 5 साल की सेल्स ग्रोथ पे भी ध्यान जरूर दीजिएगा। अब सेल्स ग्रोथ की बात चली रही है तो यहाँ पर मैं आपको बता दूं कि कुछ जो डाक्यूमेंट्स होते हैं उनमें इसको रेवइन्यू भी दिखाया जाता है और कुछ जगह पे इसको टॉप लाइन भी बोला जाता है तो इस बात का भी ध्यान रखना।
3) FUNDAMENTAL ANALYSIS
अब इसके बाद जो थर्ड चीज़ आपको देखनी चाहिए, फंडामेंटल एनालिसिस में वो है। प्रॉफिट ग्रोथ।
अब देखो कंपनी की जो सेल्स है वो अगर बढ़ रही है तो ये तो अच्छी बात है, लेकिन इसके साथ ही उसका प्रॉफिट भी बढ़ रहा होना चाहिए। अगर कंपनी का प्रॉफिट नहीं बढ़ रहा है और सेल्स बढ़ती जा रही है तो फिर इससे हमें लॉन्ग टर्म में कुछ खास फायदा नहीं होगा। तो यानी कंपनी का प्रॉफिट भी बढ़ रहा हो और मैं आपको अपना रूल बता दूं तो मैं कभी भी किसी ऐसी कंपनी में इन्वेस्ट नहीं करता हूँ जो कि एक लॉस मेकिंग कंपनी हो एक्सेप्शनली कंपनी को लॉस हो गया। वो एक डिफरेंट चीज़ है।
लेकिन अगर कंपनी रेगुलरली लॉस कर रही है तो मैं जनरलली उस कंपनी में इन्वेस्ट नहीं करता हूँ और मुझे लगता है की बिगिनर आपको भी ऐसी कंपनी को अवॉइड करना चाहिए जिनको लॉस हो रहा हो तो हमेशा ऐसी कंपनी में इन्वेस्ट करें जिसका जो प्रॉफिट है वो लगातार बढ़ रहा हो और वो कंपनी प्रॉफिटेबल होनी चाहिए। अगर आपको ज्यादा रिस्क नहीं लेना है तो और यहाँ पर भी सिर्फ पिछले 1 साल का प्रॉफिट ग्रोथ ना देखें। पिछले 3 साल और 5 साल का प्रॉफिट ग्रोथ देखेंगे तो ये ज्यादा बेटर होगा।
अब जब आपने कंपनी का प्रॉफिट ग्रोथ देख लिया है तो अब जो फॉर्थ इम्पोर्टेन्ट चीज़ है वो है।
4) DEBT To EQUITY
अब ये क्या चीज़ होती है? तो देखो अगर मान लो कंपनी का प्रॉफिट बहुत बढ़ रहा है, सेल्स बहुत बढ़ रही है लेकिन कंपनी ने बहुत ज्यादा ले रखा है तो इसमें क्या होगा? इसमें होगा ये की चाहे कंपनी की कितनी सेल्स बढ़ जाए, कितना प्रॉफिट बढ़ जाए लेकिन उसको बहुत ज्यादा इन्ट्रेस्ट चुकाना होगा और लोन को चुकाना होगा, जिससे जो हम शेयर होल्डर्स है ना हमारे हाथ में कुछ बचेगा नहीं तो हमारे लिए इम्पोर्टेन्ट है कि कंपनी का जो debt है ज्यादा नहीं होना चाहिए।
ज्यादा नहीं होना चाहिए तो इसके लिए debt to equity का यूज़ किया जाता है और जनरल रूल ये है की कंपनी का जो debt to equity है ना वो one से कम होना चाहिए और अगर आप ज्यादा सेफ चलना चाहते है तो फिर जिन कंपनी का डिटेक्टिविटी रेश्यो 0.5 से कम है आप उनको कंसिडर कर सकते है। तो अब जब आप एक कंपनी का debt to equity देख लेंगे तो इसके बाद एक बहुत ही इम्पोर्टेन्ट मैट्रिक है।
5) PE RATIO
और वो है PE रेश्यो। इसके फुल फॉर्म होती है price to earning रेश्यो pe रेशो से हम ये पता करने की कोशिश करते है की एक कंपनी का जो स्टॉक है वो सस्ता मिल रहा है या फिर महंगा मिल रहा है। देखिये, हो सकता है की जो कंपनी है वो बहुत अच्छी है। उसका बिज़नेस बहुत अच्छा है। वो प्रॉफिट भी बहुत अच्छा बढ़ रहा है। सेल्स भी बहुत अच्छा बढ़ रहा है। कंपनी के ऊपर ज्यादा कर्ज भी नहीं है, लेकिन ऐसे केस में अगर फिर भी कंपनी को अपने बहुत महंगे में खरीद लिया तो आप उससे प्रॉफिट नहीं कमा पाएंगे तो आपके लिए जरूरी है उसको एक सही प्राइज में खरीदना।
तो वो सही price क्या है? वो हमें बताता है। पी रेश्यो अब ये जो pe ratio देखो साफ साफ बताता हूँ। ये थोड़ा एडवांस कॉन्सेप्ट है तो हम सीधा समझते हैं कि इसको यूज़ कैसे करना है। तो देखिए इस पी रेश्यो में ना हम बेसिक्ली कंपॅरिज़न करते हैं। अब कंपॅरिज़न करने के लिए हमारे पास कोई दूसरी चीज़ होनी चाहिए। तो आप जीस कंपनी में इन्वेस्ट कर रहे हैं? मान लीजिए उसका जो पी रेश्यो है वो 25 का है। तो अब ये जो नंबर है ये अच्छा है, बुरा है ये हमें पता कैसे चलेगा?
तो देखिए इसके लिए हमें चाहिए कोई दूसरी कंपनी जीस से हम कंपेर कर सके तो ऐसे केस में मान लीजिए अगर आप एक टाइर बनाने वाली कंपनी में इन्वेस्ट कर रहे हैं तो वहाँ पर देखिए कि और कौन कौन सी ऐसी कंपनियां है जो टाइर बनाती है और उनका पी रेश्यो क्या है और उसका एक एवरेज निकाल लीजिए। अब मान लीजिए अगर कोई दूसरी कंपनी है जो कि टाइर बनाती है, उसका जो पी रेश्यो है वो 24 का है, एक तीसरी कंपनी है, उसका 26 का है तो अगर इसका एवरेज निकाल ले तो 25 निकल कर आएगा। तो अगर आपको जो कंपनी में जिसमें आप इन्वेस्ट करना चाह रहे हैं उसका pe ratio 25 ही देखने को मिल रहा है तो इसका मतलब वो जो कंपनी है वो फेयरली वैलिड है, ना तो ज्यादा महंगी मिल रही है, ना ज्यादा सस्ती मिल रही है। लेकिन अगर 25 से कम है तो हो सकता है कि कंपनी आपको सस्ती मिल रही है। यहाँ पर भी बहुत सारी कंडीशन होती है। मैं आपको बेसिक चीजें समझा रहा हूँ।
और अगर उसका 25 से ज्यादा है तो हो सकता है कि आपको जो कंपनी है वो महंगी मिल रही है। बट यहाँ पर आपको पी रेश्यो से रिलेटेड एक चीज़ बता देता हूँ और वो यह है कि अगर मान लीजिए किसी कंपनी का पी रेश्यो 25 है ना तो इसका मतलब है कि आपको उस कंपनी से ₹1 कमाने के लिए ₹25 देना है
और किसी कंपनी का अगर मान लीजिए 26 है तो इस उस कंपनी से ₹1 कमाने के लिए आपको ₹26 देने है। अगर किसी कंपनी का पी रेश्यो 20 है तो ₹1 कमाने के लिए आपको ₹20 देना है, तो जहाँ पर आप कम रुपए दे रहे हैं वो बेटर है। इसलिए जनरलली माना जाता है कि जितना कम हो उतना अच्छा है, लेकिन बहुत ज्यादा कम होना भी खराब होता है।